..the line of insanity in sanity.. (ibabbleat random!)
ग़ैरत भी तो कलम की वो नीलाम कर गया मुंसिफ़ के क़सीदे ही जो पढ़ता चला गया ~
मुझ पर मु'आमला कोई अब दर्ज हुआ है मुंसिफ़ से रहज़नी की मैंने बात क्या कर दी
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~
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