11:27 PM · Feb 9, 2022Twitter Web App
किस ख़ुमारी में मुलव्विस है ये दिल ग़ाफ़िल मेरा जी रहा है खा के धोखे ये जिगर माइल मेरा
ये लकीरें हाथ की लिखतीं अलिफ़ तो ठीक था लिख दिया जो इश्क़ तो ये दिल हुआ बातिल मेरा
मुंसिफ़ों तुम भी समझ लो अब न हम बच पाएंगे है सियाही रात की और चाँद है क़ातिल मेरा
देख ले तू उस लहर को जो मुझे ले जाएगी डूबने से अब मुझे रोकेगा क्या साहिल मेरा
[ माइल > attracted - inclined / ग़ाफ़िल > unmindful ]
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~