..the line of insanity in sanity.. (ibabbleat random!)
ये ज़ुल्फ़ घटा है धुआं है रात है कोई काला कोई जादू या इसमें बात है कोई
दस्तक पे ग़म की दिल भी अब ये कहने लगा है शायद ये दिलनशीं सी मुलाकात है कोई
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
copyright Ⓒ zg 2022
..namastey!~
No comments:
Post a Comment
..namastey!~