Monday, February 21, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

 

2:48 PM · Feb 21, 2022Twitter Web App  @Rekhta










परेशां सा जो उल्फ़त में मिरा हमदम रहा होगा ख़िज़ाँ का ही बहारों में भी ये मौसम रहा होगा


हंसी का मामला है बादलों के अश्क़ गिनने का बस इक अंदाज़ है के दिल में कितना ग़म रहा होगा


शरर-अफ़्शाँ निगाहों ने कहीं बिजली गिराई है वो शबनम सा मिरा दिलबर ज़रा बरहम रहा होगा

बयाबां की तरन्नुम की सदाओं में जो बसता है कभी धैवत कभी पंचम कभी मद्धम रहा होगा

हुआ है रक़्स-ए-बिस्मिल ये दिल उनकी मुहब्बत में ये जादू उस कलंदर का भी मुजस्सम रहा होगा


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~