3:14 PM · Feb 22, 2022Twitter Web App @Rekhta
गुमां सबको अखरता है यूँ अच्छे अच्छों का हिसाब अच्छा वो करता है यूँ अच्छे अच्छों का
लहर की दस्तरस में ही सफ़ीना डूबता है
मुक़द्दर आह भरता है यूँ अच्छे अच्छों का
ख़ुमारी का भरम भी ख़ुद-ब-ख़ुद ही टूटता है नशा जब भी उतरता है यूँ अच्छे अच्छों का
परेशां फिर हुआ है लो किसी का आइना कभी तो रंग उड़ता है यूँ अच्छे अच्छों का
#WordOfTheDay दस्तरस_ Reach
ज़िंदा ये एक पल ही तो है ज़िन्दगी मिरी
बीता हुआ लम्हा क़ज़ा की दस्तरस में है
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
copyright Ⓒ zg 2022
No comments:
Post a Comment
..namastey!~