Sunday, February 27, 2022

झिलमिलाता हुआ तारा निकला


 6:42 PM · Feb 27, 2022Twitter Web App /published



मर्ज़ का कोई न चारा निकला कोई हमदम न हमारा निकला


ग़म के बादल बिखर ही जाएँगे

झिलमिलाता हुआ तारा निकला बातों बातों में दिल को तोड़े है मिरे दिल का जो सहारा निकला वो इक ख़याल मुहब्बत का है जो मुहब्बत से भी प्यारा निकला

क्या कहूं क्या न कहूं मैं दिल को ये भी तो इश्क़ का मारा निकला

जिसको कहते थे वो समंदर है स्वाद उस अश्क़ का खारा निकला

~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~