Monday, February 28, 2022

शब के जाम का वो एहतिशाम ही तो थी

 URDU ~ POETRY__Draft  12:08 AM · Mar 1, 2022Twitter Web App @kavishala

11:58 PM · Feb 28, 2022Twitter Web App @Rekhta









छालों पे धूप के मरहम वो शाम ही तो थी उस शब के जाम का वो एहतिशाम ही तो थी शायर था वो बेनाम सा था उसके पास क्या लिक्खी हर एक सांस तिरे नाम ही तो थी बदनाम था वो इश्क़ में हर बात थी खुली फूलों से शनासाई खुले आम ही तो थी


इस जिंस-ए-उल्फ़त ने दिवाना जिसे किया उसने करी ये ज़िंदगी नीलाम ही तो थी


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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  • एहतिशाम >magnificence, pomp, ostentation, glory, grandeur

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..namastey!~