URDU ~ POETRY__Draft 12:08 AM · Mar 1, 2022Twitter Web App @kavishala
11:58 PM · Feb 28, 2022Twitter Web App @Rekhta
छालों पे धूप के मरहम वो शाम ही तो थी उस शब के जाम का वो एहतिशाम ही तो थी शायर था वो बेनाम सा था उसके पास क्या लिक्खी हर एक सांस तिरे नाम ही तो थी बदनाम था वो इश्क़ में हर बात थी खुली फूलों से शनासाई खुले आम ही तो थी
इस जिंस-ए-उल्फ़त ने दिवाना जिसे किया उसने करी ये ज़िंदगी नीलाम ही तो थी
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
copyright Ⓒ zg 2022
- एहतिशाम >magnificence, pomp, ostentation, glory, grandeur
No comments:
Post a Comment
..namastey!~