5:09 AM · Feb 21, 2022Twitter Web App @Rekhta
एक शब देखा ज़मीं पर ही सितारों का जहाँ वो नज़र जो छू गई तो बिखरी अफ्शां भी वहां
बात मामूली सी है के दिल ये टूटा इश्क़ में दिल के ही टुकड़ों के भी होते रहेंगे इम्तेहां क्यूँ शजर की और सबा की क़ुर्बतों का ज़िक्र है लब तरसते हैं कहीं आरिज़ कहीं हैं बे-कसाँ माहताबी नूर तुम फिर मैं तो शायर भी नहीं मैं ज़मीं का आदमी ऐ चाँद तेरा आसमां
राह में वो देख कर भी मुझको आगे बढ़ गए एक तो ज़र्रा हूँ मैं उस पर तख़ल्लुस है निहां
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~