URDU ~ POETRY__Draft #no_war
( photo courtsey twitter )
जो अनसुनी करी हैं यूँ सूरज की दस्तकें चराग़ बुझ रहे हैं अंधेरों के शहर में जीने के लिए हो चुकी ज़मीन बहुत तंग दो गज़ की ज़मीनें हैं अंधेरों के शहर में आंसू हैं मगर कोई नहीं पोंछने वाला ये किसकी कराहें हैं अंधेरों के शहर में
सुनसान रास्ते हैं बेआवाज़ हैं सड़कें राहें नहीं मिलती हैं अंधेरों के शहर में गौहर था मगर ख़ाक ही में मिल गया है अब सूखा हुआ है अश्क़ अंधेरों के शहर में
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~