Friday, February 25, 2022

चराग़ बुझ रहे हैं अंधेरों के शहर में #UkraineInvasion


URDU ~ POETRY__Draft   #no_war








                                                                                         ( photo courtsey twitter )




#UkraineInvasion

जो अनसुनी करी हैं यूँ सूरज की दस्तकें चराग़ बुझ रहे हैं अंधेरों के शहर में जीने के लिए हो चुकी ज़मीन बहुत तंग दो गज़ की ज़मीनें हैं अंधेरों के शहर में आंसू हैं मगर कोई नहीं पोंछने वाला ये किसकी कराहें हैं अंधेरों के शहर में


सुनसान रास्ते हैं बेआवाज़ हैं सड़कें राहें नहीं मिलती हैं अंधेरों के शहर में गौहर था मगर ख़ाक ही में मिल गया है अब सूखा हुआ है अश्क़ अंधेरों के शहर में


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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