वो एक झलक ख़्वाब में आए चले गए हम डूबती साँसों से बुलाए चले गए
आवारा आफ़ताब और शदीद सर्दियाँ यूं सर्द हसरतों को लुभाए चले गए
अब बेख़ुदी में ख़ुद को भी भुला चुका हूँ मैं फुरक़त की धूप, याद के साये चले गए
प्यासा ही कोई जानता है क्या है तिश्नगी फुज़ूल के बादल यूँ ही छाए चले गए
शिद्दत से ही कही थी जिनसे बात वो दिल की हर बात को हंसी में उड़ाए चले गए
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~