6:10 AM · Mar 1, 2022Twitter Web App @Rekhta
andचैन दिल का यूँ जब भी खोते हैं वो तो हम को ही ले डुबोते हैं
दर्द शबनम यूं ही नहीं होता फूल औरों के ग़म में रोते हैं
नींद ऐसी कहीं न आती है मस्त फ़ुटपाथ पे ही सोते हैं कुछ खरोंचें अभी भी ताज़ा हैं लोग फिर क्यूँ बबूल बोते हैं काम धोबन के बस के बाहर था पाप गंगा में जा के धोते हैं
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~