4:03 PM · Mar 24, 2022Twitter Media Studio
जानते हैं चाँद से उनकी शिक़ायत को मगर क्यों उठाएं इश्क़ की ऐसी मुसीबत को मगर
नफ़रतों की बोलियां तो राख कर देंगी हमें
जुर्म का दर्जा दिया है किसने उल्फ़त को मगर~ ज़ोया गौतम ' निहां '
copyright Ⓒ zg 2022
4:03 PM · Mar 24, 2022·Twitter Media Studio
जानते हैं चाँद से उनकी शिक़ायत को मगर क्यों उठाएं इश्क़ की ऐसी मुसीबत को मगर
नफ़रतों की बोलियां तो राख कर देंगी हमें
जुर्म का दर्जा दिया है किसने उल्फ़त को मगर~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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2:42 AM · Mar 24, 2022·Twitter Web App @Rekhta
[ Not to Worry _This is just an Off-Chance _Not A Penalizing Come Back _ So Early ]
जहाँ ऐसा कोई होता जहाँ इंसानियत होती कोई मज़हब नहीं होता ख़ुदा भी देवता होता~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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@Rekhta 11:46 PM · Mar 22, 2022·Twitter Web App
परिंदों ने शजर को ही किया अपना है घर देखो हवाओं आसमानों का ज़मीं पर इक शहर देखो
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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_ फ़ुर्क़त _ separation
2:44 PM · Mar 22, 2022·Twitter Web App
ख़ुशबू का फ़ैसला हवा की ज़द से हो गया क़फ़स न था जहाँ ये जो सरहद से हो गया
शिकवे हों फुर्क़तों के गिले हिज्र के हों क्या मैं इश्क़ में तेरे जुदा तो ख़ुद से हो गया देखा है मैंने पत्थरों पे फूल वो खिला दिवाना मैं नुक़ूश-ए-ख़ाल-ओ-ख़द से हो गया
नशा जो सो रहा हो जगाती है ये शराब अचरज मुझे तिरे नशे की हद से हो गया
( नुक़ूश-ए-ख़ाल-ओ-ख़द _ facial imprints
ख़ाल-ओ-ख़द चेहरा मोहरा )
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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चुइ चुइ करती गौरैया के घर घर में वो गीत कहाँ खिड़की द्वारे पँख-पखेरू गया वो बचपन बीत कहाँ ~ ज़ोया गौतम ' निहां
#InternationalDayOfHappiness @Rekhta
9:40 PM · Mar 20, 2022·Twitter Web App
मुझे इस बात की ख़ुशी बहुत है
तिरे हर ग़म से मुझको ग़म बहुत है~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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