Wednesday, March 2, 2022

नशा तो ग़म का होता है

 1:45 PM · Mar 2, 2022Twitter Web App  

@Rekhta










मनाना रूठना हरदम यूँ ही हमदम का होता है छलकता जाम है फिर भी नशा तो ग़म का होता है क्यूँ ऐसे बारिशों में हम ग़मों को याद करते हैं तभी सावन के जैसा हाल चश्मे नम का होता है कभी कोहरे में भी खिलती हुई नरगिस को देखा है धुआं आँखों में ऐसा भी किसी मौसम का होता है


कभी करनी भी हो रग़बत किसी शायर से तो सुन ले वो इक तेरा नहीं दिलबर वो इस आलम का होता है


( ग़म भी हमको याद करते हैं* )



~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~