URDU ~ POETRY__Draft 12:08 AM · Mar 1, 2022Twitter Web App @kavishala
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छालों पे धूप के मरहम वो शाम ही तो थी उस शब के जाम का वो एहतिशाम ही तो थी शायर था वो बेनाम सा था उसके पास क्या लिक्खी हर एक सांस तिरे नाम ही तो थी बदनाम था वो इश्क़ में हर बात थी खुली फूलों से शनासाई खुले आम ही तो थी
इस जिंस-ए-उल्फ़त ने दिवाना जिसे किया उसने करी ये ज़िंदगी नीलाम ही तो थी
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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- एहतिशाम >magnificence, pomp, ostentation, glory, grandeur