Wednesday, February 9, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

 अल्फ़ाज़

#WordOfTheDay

( published ) 3:59 PM · Feb 9, 2022Twitter Web App











Ghazal निगह-ए ग़म है हाथ में साक़ी के जाम है आग़ाज़ से ही मामला हुआ तमाम है होती नहीं उल्फ़त कभी बिना यक़ीन के ज़हर भी अगर दे तो उसका एहतिराम है तपिश भी ग़र्दिशों की ये धुआं भी साँस में लो थक गया हूँ मैं के बुलाती वो शाम है

कुछ देता मैं उसको तो ये अल्फ़ाज़ ही देता जज़्बात उनमे ढूंढना तो उसका काम है

ख़ुदा करे हर एक दिल हो आशियाँ उसका दुआ जो उठी है वो मोहब्बत के नाम है


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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