Wednesday, February 2, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

 










डूबा हूँ जब से इस क़दर उनके ख़याल में ये दिल कभी जुनूब में कभी शुमाल में


तुम चाँद को शब से निकाल कर के देख लो कोई तो बात होगी ऐसे बेमिसाल में


आख़िर है क्या तिलिस्म ये शबनम का फूल का ज़ाहिर है बात ये तो बस उनके विसाल में


मैं रात को दिन दिन को रात कहने लगा हूँ मेरा भी वही हाल है अब उनके हाल में


देखा है जब से मैंने फिर उस दिलफ़रेब को यक़ीन कर लिया है ख़ुदा के कमाल में


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~