Monday, February 7, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

 











ग़ैरत भी तो कलम की वो नीलाम कर गया मुंसिफ़ के क़सीदे ही जो पढ़ता चला गया ~









मुझ पर मु'आमला कोई अब दर्ज हुआ है मुंसिफ़ से रहज़नी की मैंने बात क्या कर दी


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~