इस दिल-जले के दिल को जलाए तो किस तरह
दिल आशना वो दिल से भी जाए तो किस तरहकितना बुरा भला कोई ग़ालिब' को कह गया
खरोंच भी अश'आर पे आए तो किस तरह
सुनते है उसने दर्द को मेहबूब कर लिया
अब ग़म कोई उस दिल को दुखाए तो किस तरह
ये तुंद हवाएं हैं ये आंधी ये तलातुम
बादल कोई अब चाँद पे छाए तो किस तरह
कहता था वो ये रग़बतें फ़ुर्क़त के लिए हैं
इस दिल के वो रिश्ते भी निभाए तो किस तरह
( तुंद हवाएं > Rapid Winds / तलातुम > Sea Storm )
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~