Saturday, February 12, 2022

~ POETRY__

 











𝙏𝙝𝙚 𝙟𝙪𝙣𝙠 &  𝙩𝙧𝙖𝙨𝙝 𝙤𝙛 𝙇𝙞𝙛𝙚

𝗪𝗲 𝗨𝗻𝗹𝗼𝗮𝗱 𝗲𝗮𝗰𝗵 𝗗𝗮𝘆

𝗧𝗵𝗮𝘁 𝗶𝘀 𝘁𝗵𝗲 𝗚𝗮𝗿𝗯𝗮𝗴𝗲

𝗪𝗵𝗲𝗿𝗲 𝗸𝗶𝗱𝘀 𝗦𝗲𝗮𝗿𝗰𝗵 𝗳𝗼𝗿 𝗟𝗶𝗳𝗲

 

~ zoya gautam 


अफ़्सुर्दगी में हम तुझ ही को ढूंढ रहे हैं

जो है मगर नहीं* उसी को ढूंढ रहे हैं


दुश्मन न कोई और है  मिरा वुजूद  है  

बस  इसलिए ही  बेख़ुदी  को ढूंढ रहे हैं


पलक झुकी वो नैन भी क़फ़स ही हो गए 

हम भी वहीँ पे मयक़शी को ढूंढ रहे हैं


गहरी हुई हैं रग़बतें अपनी तो ग़मों से  

ये किस ख़ुशी में हम ख़ुशी को ढूंढ रहे हैं 


ख़ानाबदोश दिल है अब करें  तो  क्या करें  

कब से यूँ ही आवारगी को ढूंढ रहे हैं



रद्दी  ये ज़िंदगी की जो  हम फेंक आए थे   

बच्चे उसी में ज़िंदगी को  ढूंढ रहे हैं


(  / जो हो के नहीं है* )


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~