Saturday, February 5, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

 










बहते हैं जब आँखों के ग़म उल्फ़त की लहर में कश्ती दिलों की डूबती है एक नज़र में ~


नज़र में है जो अजनबी रस्ते के उस तरफ पोशीदा सा है ग़म कोई उसके भी जिगर में


अपने ही तमाशे कई हमने भी हैं देखे काली घनी उदास सी रातों के सेहर में


है इश्क़ फागुनों का , कोई इसका हल नहीं उठती है कोई आंच सी जब दोपहर में 



~ ज़ोया गौतम ' निहां '


{ पोशीदा > Hidden / सेहर >सम्मोहन, जादू, टोना, मंत्र, इंद्रजाल}


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~