Wednesday, February 23, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

2:37 AM · Feb 24, 2022Twitter Web App  @Rekhta


[ महक है शबिस्तां में तिरे हिज्र की सनम

ऐसे में तिरी याद शरीक-ए-हयात है ]

EDIT





महक है शबिस्तां में तिरे हिज्र की सनम जिगर में छिपी याद शरीक-ए-हयात है


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~