Tuesday, February 8, 2022

URDU ~ POETRY__Draft





गली से तिरी हो के ही गुज़रेंगे हम आगे
डूबे तिरी ही सोच में उबरेंगे हम आगे


तुम बारिशों से भी कभी तो पूछ के देखो हम अब्र हैं प्यासों के ही बरसेंगे हम आगे हो रंग-ओ-बू से ख़ुशबुओं से राब्ता जिसको रही जो वो निगाह तो निखरेंगे हम आगे इस ज़िन्दगी की मुश्किलें भी होंगी यूँ फ़तेह ख़ुद को शिक़स्त दे के ही निकलेंगे हम आगे


शाख़ों से गुलों से जो मरासिम हैं निभाकर कुछ यूं ही पतझरों में ही बिखरेंगे हम आगे


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

copyright Ⓒ zg 2022



 

No comments:

Post a Comment

..namastey!~