Tuesday, February 15, 2022

URDU ~ POETRY__Draft

 











है आरज़ू  यही  के तू हो आरज़ू मिरी 

है कहकशां के बाद भी तो जुस्तुजू  मिरी 


शिकार जो यूँ हो गयीं  मुहब्बतें यहाँ 

अब  जंगलों में  घूमती है मुश्क़ बू मिरी


ये रूह की  ही  ओढ़नी    क़तर गया कोई

तो  किस तरह से  ज़िन्दगी ये हो  रफ़ू मिरी


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~