..the line of insanity in sanity.. (ibabbleat random!)
ग़ालिब को जो ख़रीदता ख़रीदता भी क्या जज़्बात ओ ख़यालात ही जिंस-ए-वजूद थे
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~
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