URDU ~ POETRY__Draft
तोड़े है जो दिल वो ही दिल ओ जान सा क्यों है वो टूटता तारा मेरे अरमान सा क्यों है जो इश्क़ था उसको भी वो कहता रहा फ़ितूर वाक़िफ है मगर जान के अनजान सा क्यों है आ कर के चला जाए ना वो फिर मेरे दिल से सोचा ही किये दिल में वो मेहमान सा क्यों है
कैसा वो राब्ता था मेरे उसके दर्मियाँ है तो मगर इक टूटते मकान सा क्यों है
जिस बात पे रूठे हैं , वही बात है ' निहां ' आख़िर को ये ग़म उनका यूँ एहसान सा क्यों है ~
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~