..the line of insanity in sanity.. (ibabbleat random!)
इन्तेशार ए ग़म ए इज़्तिराब किसलिए कैसा भी हो जीने का इक बहाना चाहिए ~
~ ज़ोया गौतम ' निहां ' copyright Ⓒ zg 2022
..namastey!~
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