URDU ~ POETRY__Draft
किससे कहें ये हाल दिल के इज़्तिराब के
हटते नहीं नज़ारे अब ये तेरे ख़्वाब के
चेहरे से जिसके चाँद को भी रश्क बहुत है
शब शब कहाँ बग़ैर अब उस माहताब के
जमा बकाये का नहीं ये मामला कोई
उल्फत में क्यूँ करें जतन ये एहतिसाब के
आँखों के वो सवाल उन आँखों के लिए थे
कबसे हैं मुंतज़िर हम उनके इक जवाब के
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~