Monday, January 10, 2022

 

URDU-POETRY_Ghazal_Draft


हुस्न की इक किताब है यारो

वो मेरा इन्तेख़ाब है यारो


इश्क में उसके मैं मुवक्क़िल हूँ और वो लाजवाब है यारो


ईंट पत्थर से कहाँ बनता है घर की बुनियाद ख्वाब है यारो


चाँद बादल में छुपा बैठा है अपना अपना हिजाब है यारो


बांटने से ये और बढ़ता है प्यार तो बेहिसाब है यारो


सच को अब कब तलक 'निहां' रक्खें फिर हुआ बेनक़ाब वो यारो ~


ज़ोया गौतम ' निहां '

copyright zg 2022




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..namastey!~