URDU-POETRY_Ghazal_Draft
हुस्न की इक किताब है यारो
वो मेरा इन्तेख़ाब है यारो
इश्क में उसके मैं मुवक्क़िल हूँ और वो लाजवाब है यारो
ईंट पत्थर से कहाँ बनता है घर की बुनियाद ख्वाब है यारो
चाँद बादल में छुपा बैठा है अपना अपना हिजाब है यारो
बांटने से ये और बढ़ता है प्यार तो बेहिसाब है यारो
सच को अब कब तलक 'निहां' रक्खें फिर हुआ बेनक़ाब वो यारो ~
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~