Saturday, January 8, 2022

 

URDU-POETRY_Ghazal_Draft


नींदें उड़ी हैं गांव की शहरों के खेल में        

शायर भी नींद से गए लब्ज़ों के खेल में


वो मुस्कुराना उनका महज़ दिल की बात थी

पर मैं उलझ के रह गया लहज़ों  के खेल में


पत्ते बदल गए ज़रा जो रुत बदल गयी

 ग़ुलाम  बादशाह हुए पत्तों के खेल में


कितने क़तील थे निहां ' निज़ाम से पूछो

कितने ही सरफ़रोश थे तख़्तों  के खेल में 

~ ज़ोया गौतम ' निहां '


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..namastey!~