URDU-POETRY_Ghazal_Draft
नींदें उड़ी हैं गांव की शहरों के खेल में
शायर भी नींद से गए लब्ज़ों के खेल में
वो मुस्कुराना उनका महज़ दिल की
बात थी
पर मैं उलझ के रह गया लहज़ों के खेल में
पत्ते बदल गए ज़रा जो रुत बदल गयी
ग़ुलाम बादशाह हुए पत्तों के खेल में
कितने क़तील थे ' निहां ' निज़ाम से पूछो
कितने ही सरफ़रोश थे तख़्तों के खेल में
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~