URDU ~ POETRY__Draft
सनम जब ऐसे चश्म ए नम
न होंगे
तो फिर रिम झिम के भी मौसम न होंगे
अंधेरों में हूँ संग, संग ही तो हूँ मैं
तेरे साये भी
ये हम कदम न होंगे
सनम रूठे न यूँ , जो न माने यूँ
सबब जीने के फ़राहम न होंगे ~
भरम सबको है तू है दिल आशना
तो हम कैसे यूँ खुश फ़हम न होंगे
रुका इक अश्क़ फिर रुख़सार पर ये क़तरे कैसे फिर शबनम ना होंगे
' निहां ' धड़कन
दिलों में उन से है
वो रुख़सत हों तो क्यूँ मातम न होंगे
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~