Thursday, January 13, 2022

                                                                                                           



URDU POETRY__Draft         


सनम जब ऐसे  चश्म ए नम  न होंगे

तो फिर  रिम झिम के भी मौसम न होंगे


अंधेरों में हूँ संग, संग ही तो हूँ मैं 

तेरे साये भी ये हम कदम न होंगे


सनम रूठे न यूँ , जो न माने यूँ

सबब जीने के फ़राहम न होंगे ~


भरम  सबको है तू है दिल आशना  

तो हम कैसे यूँ खुश फ़हम न होंगे


रुका इक अश्क़ फिर रुख़सार पर ये क़तरे कैसे फिर शबनम ना होंगे


' निहां ' धड़कन दिलों में उन  से है

वो रुख़सत हों तो क्यूँ मातम न होंगे

ज़ोया गौतम ' निहां ' 

copyright zg 2022 


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..namastey!~