URDU-POETRY_Ghazal_Draft
आग ही चाहिए परवाने को
तेरी महफ़िल यूँ ही सजाने को
दिल ये कहता है क्यों क़ज़ा न कहें
ये तेरे मुझ से बिछड़ जाने को
वो रूठता है मुसल्सल यूँ ही
हैं ' निहां ' प्यार के रस्ते तेरे
मेरी पलकें हैं फिर बिछाने को
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~