URDU ~ POETRY__Draft
नैनों से मुझे फिर तू सताने के लिए आ
क्यूँ इतना ख़फ़ा है ये बताने के लिए आआँखों में ही थे लब्ज़ थी आँखों की तरन्नुम
फिर से मुझे वो नज़्म सुनाने के लिए आ
जबसे तुझे देखा है ज़माना ही ख्वाब है
बे ख़्वाब कर मुझे तू जगाने के लिए आ
गिर के न सम्हलता कभी जो तू न उठाता
अब चाहता हूँ मैं तू गिराने के लिए आ
जीने के बहानों में निहां तू है तो मैं हूँ
फिर से वो बहाने तू बनाने के लिए आ
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~