URDU ~ POETRY__Draft
कुछ तो यूँ ही टूट गए और कुछ ने धड़कन ही खो दी
कितनों ने दिल गिरवी रक्खे उन आँखों की घात के नामकुछ भी नहीं था बस इक दिल के उल्टे सीधे अरमां थे
कितना बकाया निकला है अब मेरे ही जज़्बात के नाम ~
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~