URDU ~ POETRY__Draft
मांगी थी किसी ग़म की इनायत नहीं तुमसे
यूँ तो किसी भी ग़म की शिकायत नहीं तुमसेअब दिल जलों की आह का मफ़्हूम है तो क्या
ठहरेगी मनचलों की रवायत नहीं तुमसे
कोई तो बात है जो अब वो बात नहीं है
हर बात पे मिलती है हिदायत नहीं तुम से
बचपन की मुहब्बत हर एक दिल में है ' निहां '
अब कौन ये कहे के मुहब्बत नहीं तुम से
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~