Monday, January 17, 2022

 

URDU ~ POETRY__Draft 








मांगी थी किसी ग़म की इनायत नहीं तुमसे

यूँ तो किसी भी ग़म की शिकायत नहीं तुमसे


अब दिल जलों की आह का मफ़्हूम है तो क्या ठहरेगी मनचलों की रवायत नहीं तुमसे

कोई तो बात है जो अब वो बात नहीं है हर बात पे मिलती है हिदायत नहीं तुम से

बचपन की मुहब्बत हर एक दिल में है ' निहां ' अब कौन ये कहे के मुहब्बत नहीं तुम से



~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~