DRAFT_ URDU GHAZAL
अपनी ज़ुल्फ़ों को हवाओं में उड़ाकर देखो ज़रा बादल की तरह रुत पे भी छा कर देखो
चाहने वाले कई हैं और कोई मुझ सा नहीं
तुम इक बार मेरे ख्वाब में आ कर देखो
वो नशा और है पर ये नशा न उतरेगा
किसी गिरते हुए मयकश को उठाकर देखो
दिल में जो ग़म ' निहां ' है उसपे शबाब आये
क्यूं ना ग़म पर भी कभी मुस्कुराकर देखो
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~