Thursday, January 6, 2022

 DRAFT_ URDU GHAZAL




अपनी ज़ुल्फ़ों को हवाओं में उड़ाकर देखो

ज़रा बादल की तरह रुत पे भी छा कर देखो

चाहने वाले कई हैं और कोई मुझ सा नहीं
तुम इक बार मेरे ख्वाब में आ कर देखो

वो नशा और है पर ये नशा न उतरेगा किसी गिरते हुए मयकश को उठाकर देखो

दिल में जो ग़म ' निहां ' है उसपे शबाब आये क्यूं ना ग़म पर भी कभी मुस्कुराकर देखो

~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 


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..namastey!~