Sunday, January 2, 2022

यूँ ही फिर ख़ुद से बात करता हूँ

10:06 PM · Feb 26, 2022Twitter Web App  @Rekhta / Republished







GHAZAL

यूँ ही फिर ख़ुद से बात करता हूँ

ख़ुद से ही मुलाकात करता हूँ


तेरी नज़रें हैं शायरी मेरी

मैं कलम और दवात करता हूँ


तेरे हंसने से सुबह होती है मैं तो बस दिन को रात करता हूँ


वो ही ज़ाहिर है और वो ही ' निहां ' इश्क़ को क़ायनात करता हूँ


~ ज़ोया गौतम ' निहां '


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..namastey!~