10:06 PM · Feb 26, 2022Twitter Web App @Rekhta / Republished
GHAZAL
यूँ ही फिर ख़ुद से बात करता हूँ
ख़ुद से ही मुलाकात करता हूँ
तेरी नज़रें हैं शायरी मेरी
मैं कलम और दवात करता हूँ
तेरे हंसने से सुबह होती है मैं तो बस दिन को रात करता हूँ
वो ही ज़ाहिर है और वो ही ' निहां ' इश्क़ को क़ायनात करता हूँ
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~