Monday, March 21, 2022

#WorldPoetryDay ख़ुद फ़रेबी में ख़ुद ही को यूँ सुख़न-वर मान कर

 #allpoets  

@Rekhta 2:11 PM · Mar 21, 2022Twitter Web App

( being less than half a poet i value & regard poets better _ #WorldPoetryDay )


तेरी आँखों में मिरा यूं आना जाना हो गया हो न हो जीने का फिर से इक बहाना हो गया
ख़ुद फ़रेबी में ख़ुद ही को यूँ सुख़न-वर मान कर राह दो मिसरों में भूला मैं फ़साना हो गया लफ़्ज़ में क्या था न जाने - हर्फ़ में क्या था सनम प्यार के अल्फ़ाज़ थे और मैं दिवाना हो गया

ना तरन्नुम की ख़बर थी ना पता था ताल का थी सुरीली वो निग़ाहें मैं तराना हो गया

पहली बारिश की वो सौंधी सी महक अब है कहाँ साक़िया ग़फ़लत में है मयक़श पुराना हो गया


( गीत ले के थी निगाहें * )

~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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