Thursday, March 17, 2022

रात है ये हिज्र की तारों में पर झिलमिल सी है

 

10:52 PM · Mar 17, 2022Twitter Web App  @Rekhta









रात है ये हिज्र की तारों में पर झिलमिल सी है याद की दस्तक है और धड़कन में इक हलचल सी है ज़िन्दगी तेरे क़दम की चाप है आँगन में जो ग़म की ख़ामोशी में भी तो बोलती पायल सी है


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

copyright Ⓒ zg 2022

No comments:

Post a Comment

..namastey!~