Sunday, March 13, 2022

ग़म से कुछ भी आता जाता नहीं

3:08 PM · Mar 13, 2022Twitter Web App  @Rekhta








 


ग़म से कुछ भी आता जाता नहीं

दिल को मैं ख्वाबों में उलझाता नहीं प्यास भी तो अब नहीं है मुंतज़िर अब्र भी अब कोई तरसाता नहीं मैं अँधेरा हूँ वो मेरी चांदनी बस अमावस का असर जाता नहीं

खुल गए आँखों के ही मयख़ाने वो मयकदों में लुत्फ़ अब आता नहीं

ज़िन्दगी में जब सनम ही ना रहा
दुःख भी अब दिल को दुखाता नहीं

ख़ुद फ़रेबी के भरम से लौट कर तेरे वादे पे यक़ीं लाता नहीं

~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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