Monday, March 7, 2022

फिर कोई कटी पतंग है

 

2:57 PM · Mar 7, 2022Twitter Web App  @Rekhta











ग़ैरों के ग़म का जिस को कोई ग़म नहीं होता उस आदमी से ही तो इस जहाँ की जंग है फ़लक पे नज़र कर लगाए दौड़ वो बच्चा

ख़ुश-कुन समा है फिर कोई कटी पतंग है


[ बर्बादियों का जिस को कोई ग़म नहीं होता

उस आदमी से ही तो इस जहाँ की जंग है नज़रें हैं आसमान पे दौड़े कोई बच्चा ख़ुश-कुन समा है फिर कोई कटी पतंग है ]


[ ख़ुश-कुन _ pleasing ]


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~