9:46 PM · Mar 16, 2022Twitter Web App
मयक़शी का मै बहाना चाहता हूँ
होश से पीछा छुड़ाना चाहता हूँदेख कर फूलों पे वो शबनम का क़तरा
अश्क़ इक मैं भी गिराना चाहता हूँ
मैं नहीं था जिस्म भी मेरा नहीं था
सोच भी कुछ सूफ़ियाना चाहता हूँ
भूलना तुझको कभी आसां कहाँ था
तेरी यादों को भुलाना चाहता हूँ
बेख़ुदी होगी तो फिर ये ग़म न होंगे
इस ख़ुदी को ही मिटाना चाहता हूँ
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~