Monday, March 7, 2022

ग़ैरों का ग़म

 11:49 PM · Mar 7, 2022Twitter Web App  @Rekhta












जलती है शमा फिर भी उजाला नहीं होता ग़ैरों का ग़म दिलों ने सम्हाला नहीं होता


मुँह खोलने पे रोक हट गई तो ये जाना ग़रीब के मुँह में तो निवाला नहीं होता अख़बार की ख़बर का तो ये मामला न था दिल टूटने का कोई हवाला नहीं होता


मुश्किल से रास्तों पे ही काँटों की चुभन है मखमल पे पड़ें पाँव तो छाला नहीं होता


हैरत में हूँ फ़रेब से मैं इंतेख़ाब के

हर एक की आँखों में तो जाला नहीं होता


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~