8:39 PM · Mar 10, 2022Twitter Web App
ख़िज़ाँ में फिर कोई पत्ता यूँ झर गया यारो मेरा ये दिल ही टूट कर बिखर गया यारो कभी जगा नहीं नींदों में चल रहा था मैं न जाने था कहाँ मैं फिर किधर गया यारो न कोई रंग न रोग़न न संदल न हिना ज़रा सा मुस्कुरा के वो संवर गया यारो
न जाने पूछता है आइना मुझ से क्या क्या हर इक सवाल पे ही मैं सिहर गया यारो ख़मोशियों के एहतिजाज में शरीक़ था मैं चुप था इसलिए मैं कुछ तो मर गया यारो
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
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..namastey!~