Wednesday, March 16, 2022

तुम हँस के जो दिल चुरा रहे हो

तुम हँस के जो दिल चुरा रहे हो ये जुर्म है क्यों सता रहे हो


आँखों से तेरी मिली हैं आँखें नज़र से क्या तुम पिला रहे हो तू जो ना मिली ना मैं रहूँगा हंसी में क्यों तुम उड़ा रहे हो ऐसे भी कहीं कोई रूठता है ये धड़कनें क्यों बढ़ा रहे हो


हो चले हैं ये अँधेरे मेरे क्यूँ तुम ये शम्मे जला रहे हो #WorldPoetryDay ( march 21 2022 )


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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..namastey!~