तुम हँस के जो दिल चुरा रहे हो ये जुर्म है क्यों सता रहे हो
आँखों से तेरी मिली हैं आँखें नज़र से क्या तुम पिला रहे हो तू जो ना मिली ना मैं रहूँगा हंसी में क्यों तुम उड़ा रहे हो ऐसे भी कहीं कोई रूठता है ये धड़कनें क्यों बढ़ा रहे हो
हो चले हैं ये अँधेरे मेरे क्यूँ तुम ये शम्मे जला रहे हो #WorldPoetryDay ( march 21 2022 )
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
copyright Ⓒ zg 2022
No comments:
Post a Comment
..namastey!~