Wednesday, March 2, 2022

इंसाफ़ की दस्तार

 






#WordOfTheDay _ दस्तार

6:23 PM · Mar 2, 2022Twitter Web App
इंसाफ़ की दस्तार ही लेकर चली हवा मज़लूम को सज़ा हुई मुल्ज़िम निकल गया

सहाफ़ियों ने कैसे सहाफ़त ही बेच दी देखो ज़मीर उनका ये कैसे पिघल गया

आवाज़ बिक रही थी ख़रीदार थे कई कैसे जम्हूरियत को ही कोई निगल गया

हाकिम के पा-ए-दान पे दस्तार है किसकी शायद वो सहाफ़ी भी तो घुटनों के बल गया

ज़ंजीर से कभी नहीं बंधी हैं शुआएँ टूटे हुए चराग़ से अँधेरा जल गया


~ ज़ोया गौतम ' निहां ' 

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दस्तार > headwear _ turban

सहाफ़ी> journalist

जम्हूरियत > Democracy

हाकिम >Ruler one in power or authority


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..namastey!~