7:09 PM · Mar 19, 2022Twitter Web App
अजल _ death
पत्थर में ढली चाँदनी की तू ये ग़ज़ल देख अजल भी ज़िंदगी भी तू ये ताज महल देख
ये बेकसी ये बेकली ये बेख़ुदी भी है यूँ ही नहीं ये दिल मिरा जाएगा बहल देख ना शब न सितारे न मिरे पास चाँद है बहार क्यूँ हुई ख़िज़ां ये फेरबदल देख अस्बाब मुहब्बत के भी तो टूट के बिखरे ग़म के सुरूर में वो न पाएगा सम्हल देख
~ ज़ोया गौतम ' निहां '
copyright Ⓒ zg 2022
No comments:
Post a Comment
..namastey!~